यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Tuesday, November 12, 2013
हर इम्तिहाँ से यहाँ अपनी जिंदगी गुज़री
जो चाह के
भी न रोशन हुए ज़माने मेंवही चिराग़
समझते हैं रौशनी क्या है 0000000000000हवा सी , आग सी , पानी सी , धूप सी गुज़री हर इम्तिहाँ से यहाँ अपनी
जिंदगी गुज़री
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