हुआ रुखसत तो मुझ पे वो एहसान कर गया
एक शख्स मेरी जिंदगी को वीरान कर गया
ये कौन आ गया मेरे ख्वाब-ओ -ख्याल में
जो मुझसे ही मेरे किरदार को अनजान कर गया
खौफ -ए- खुदा किया न कुछ ख्याल किया मेरा
जाते-जाते वो मेरी मौत आसान कर गया
तेज बारिश में उजड़े गरीबों के आशियाँ
अबके सावन पूरी बस्ती को सुनसान कर गया
मजबूर इस कफस में अरमान अब भी हैं जिन्दा
जीने का यह ज़ज्बा मुझे हैरान कर गया
आंसू पीते, सिसकते लब पूछते हैं दोस्त
वो है कौन मेहरबान जो तुझे बेजान कर गया ।
प्रस्तुति: अनिल (०२.०२.२०१० सायं ५.०० बजे )
3 comments:
bahut khoob, chha gae
ratnakar tripathi
main...ratnakar
वाह! बहुत खूब!
Waah....Waah....Waah....
Bahut sundar gazal...sabhi sher umda...
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