डाक्टर अरविंद चतुर्वेदी
आपने बिंदु-बिंदु विचार शुरू कर के एक गुमनामी के अंधेरे में खो चुकी शख्सियत के व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित कर दिया। यही कहना पड़ेगाकि आपने याद दिलाया
तो मुझे याद आया,
कभी हम पर भी पड़ा था
इसी गुलफाम का साया
बहरहाल आपका पोस्ट एक नया रंग लाया
पालागन भाया..सुरेश नीरव
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