1.आस्था किसी व्यक्ति,व्यक्ति के कार्य या उसकी योग्यता के प्रति दर्शाया गया एक रचनात्मक भाव है।
2. आस्था किसी प्रमाण पर आधारित नहीं होती है। यह एक ऐसी परिकल्पना है जो परम सत्य के उद्यान में महकती है।
3.यह आस्था ही है जो एक तीर्थ यात्री को लंबी कष्टभरी यात्रा का आमंत्रण दोती है, औरकिसी सिद्धांत,मूल्य और नियम के लिए बलिदान होने का साहस भी।
4. आस्था आचरणसंहिता की कूटभाषा है। योग्यता की कसौटी है और किसी से ईमानदारी से जुड़ने का मजबूत बंधन भी।
5. आस्था धार्मिक सिश्वास का विश्वकोष है। ईसाई और यहूदीधर्म की बुनियाद है-आस्था।
6. किसी के प्रति कृतज्ञता का भाव, वफादारी का जज्बा, किसी के प्रति वचनबद्धता और संबंधों के निर्वाह का नाम है-आस्था।
7. जब मैं मुसीबत में था तो मेरी सबसे ज्यादा मदद
उसने की। यह जो अहोभाव है,यही आस्था है।
8. ईस्वर के वचनों में आस्था जिसे है ईस्वर उसके प्रति हमेशा दयालु होता है। और उसकी रक्षा करता है।
समस्त आस्थाओं एवं विश्वास के साथ मेरे प्रणाम..
पंडित सुरेश नीरव

1 comment:
स्यातवाद तो आआस्था का विरोधी है, ईश्वर है भी और शायद नहीं भी, यह तो आस्था नहीं है, संशयवाद (स्कैप्टिसिज्म) के अधिक निकट है।
गूंगे का गुड़ अवश्य हो सकतीहै आस्था।
किसी व्यक्ति,व्यक्ति के कार्य या उसकी योग्यता के प्रति दर्शाया गया जो रचनात्मक भाव है उसे तो श्रद्धा या कृतज्ञता कह सक्ते हैं; आस्था तब होगी कि जब यह काहा जाए कि वह व्यक्ति भविष्य में सदा ही ऐसा ही व्यवहार करेगा।
"जब मैं मुसीबत में था तो मेरी सबसे ज्यादा मदद
उसने की। यह जो अहोभाव है,यही आस्था है।" यह कथन ईश्वर के सम्बन्ध मे सही है। उस व्यक्ति ने मदद की यह तो स्पष्ट है इसमें आस्था की आवश्यकता नहीं।
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