श्रद्धेय नीरवजी,
आपके धर्मशाला प्रवास का समाचार पढ़ा। आप प्रकृति की मनोरम वादियों में बैठकर कविताओं के मधुर क्षणों को आत्मसात करें। और ख़ूब तरो-ताजा होकर लौटें। और फिर आकर बेहतरीन कविताओं का सृजन करें। कुदरत के पास जाने से आदमी कुदरतन कवि हो जाता है और फिर आप तो सिद्ध-प्रसिद्ध कवि हैं हीं। आदरणीय प्रशांत योगीजी के विचारपरक आलेख तो हम पढ़ते ही रहते हैं। वहां बैठकर आप लोगों का और गंभीर विमर्श होगा,ऐसा मैं मानता हूं। मेरी शुभकामनाएं...मुकेश परमार
जीवेम शरदः शतम
कल 24 दिसंबर को सुप्रसिद्ध कवि आदरणीय जगदीश परमार (ग्वालियर) का जन्मदिन है। वे अपने जीवन के 79 वसंत पूरे कर रहे हैं। जयलोक मंगल की ओर से उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं।
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