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Monday, December 27, 2010

क्षितज पर खड़ा नव दिवस कह रहा

श्री बी.एल.गौड़ साहब,
आपकी नव वर्ष के उपलक्ष में जो कविता से लिपटीं शुभकामनाए जयलोक मंगल को मिली हैं,वह एक बेशकीमती तोहफा है। हमारे व्लॉग के लिए। प्रस्तुत पंक्तियों में तो आपने नए साल में संभावनाओं के उन रंगों को भी भरने का आह्वान किया है,जो किसी कारण से पिछले साल फीके रह गए थे..नववर्ष पर आपको भी आत्मीय और अग्रिम शुभकामनाएं
क्षितज पर खड़ा नव दिवस कह रहा
चलो इन पलों को सुनहरा करें
गत वर्ष में जो रंग फीके रहे
आज फिर से उनेंह हम गहरा करें
बी एल गौड़

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