
आज ब्लॉग पर पंडित सुरेश नीरव, आदरणीय प्रशांत योगीजी और श्रद्धेय विश्नमोहन तिवारीजी की जो ज्ञानत्रयी प्रवाहित हुई उससे पावन ज्ञान का प्रयाग उतर आया। बहुत ज्ञानवर्धक चर्चा रही। हमें तो बहुत कुछ सीखने को मिला। ऐसे शास्त्रार्थ तो बहुत मुश्किल से सुनने-पढ़ने को मिलते हैं। बल्कि अब तो यह परंपरा ही समाप्त हो गई है। मैं तीनों विद्वजनों को सादर प्रणाम करता हूं।
मुकेश परमार
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