यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Sunday, March 6, 2011
सक्रियता और समर्पण को सलाम..
आज पंडित सुरेश नीरवजी की बेहतरीन गज़ल पढ़ी। ये ग्वालियर की मिट्टी है जिसमें कविता बहुत गहरे तक रमी हुई है. दिल खुश हो गया। मैं 12 को दिल्ली आ रहा हूं तब सभी से मिलूंगा।
श्री भगवानसिंहहंसजी ने दुबारा मोर्चा संभाल लिया है. बीच में वे तकनीकि कारणों से दिखाई नहीं दिए। उनकी सक्रियता और समर्पण को सलाम..
जगदीश परमार
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