एक दुखद समाचार मिला है.
आज दोपहर रामनारायण त्रिपाठी 'पर्यटक' जी नहीं रहे.
बहुत मर्माहत हूँ.
नियमित संयमित दिनचर्या के अभ्यासी पर्यटक जी को बोन कैंसर था। उपचार हेतु हरिद्वार गए थे। हालत ज्यादा बिगड़ी तो उन्हें हेलीकाप्टर से लखनऊ लाया जा रहा था। आक्सीजन कमी से रास्ते में ही वे अचेत और कदाचित् निष्प्राण हो गए।
नियमित संयमित दिनचर्या के अभ्यासी पर्यटक जी को बोन कैंसर था। उपचार हेतु हरिद्वार गए थे। हालत ज्यादा बिगड़ी तो उन्हें हेलीकाप्टर से लखनऊ लाया जा रहा था। आक्सीजन कमी से रास्ते में ही वे अचेत और कदाचित् निष्प्राण हो गए।
निसंदेह 'पर्यटक' जी का अनायास चले जाना विचलित कर गया. बाल साहित्य के लिए पूरे मन से समर्पित थे. कई साल पहले 'राष्ट्रधर्म' में उन्होंने मेरे संयोजन में एक स्तम्भ " बाल साहित्य मनीषी" प्रारंभ किया था. इस बहाने हिंदी के वरिष्ठ बाल साहित्यकारों पर नियमित रूप से कई आलेख प्रकाशित हो सके थे.
गत वर्ष उनके प्रयासों से जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर में बाल साहित्य पर संगोष्ठी हुई थी. मैं उनके साथ ही लखनऊ से गया था.क्या पता था, वह अंतिम सहयात्रा होगी.
2 comments:
ओह!
बहुत दुखद समाचार है।
रामनारायण त्रिपाठी पर्यटक जी को मेरी श्रद्धांजलि!
रामनारायण पर्यटक पंचतत्व में विलीन
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